Archeology And Tourist Sites In Chhattisgarh
Part (10)
छत्तीसगढ़ के पुरातत्व एवं पर्यटन स्थल
मुंगेली जिला के पुरातत्व एवं पर्यटन स्थल
मुंगेली जिला
जिले के बारे में
142 साल पुरानी प्रदेश की सबसे बडी तहसीलों में से एक मुंगेली को जिला बनाया गया । मुख्यमंत्री डॉ.रमन.सिंह ने नए जिले का उद़्घाटन किया । 3 विकासखंडो वाले इस नए जिले की आबादी करीब पौने 5 लाख है ।मुंगेली को तहसील का दर्जा 1860 में मिला था । इस तरह 142 वर्ष बाद मुंगेली तहसील से जिला बन पाया । नये जिले में तीन तहसील मुंगेली, पथरिया और लोरमी शामिल है । जिले का कुल क्षेत्रफल 1 लाख 63 हजार 942 वर्ग किलोमीटर है । मुंगेली जिले में कई धार्मिक एवं पर्यटन स्थल मौजूद हैं । जहां पर हर साल एक बड़ा मेला भी लगता है । बताया गया कि फणीनागवंशी राजा के सपने में त्रिपथगामनी गंगा ने प्राकट्य होकर कुंड व मंदिर की स्थापना के निर्देश दिए थे । उन्होंने सेतगंगा में कुंड व मंदिर को भव्य रूप देने का निर्देश माना । कुंड का जल गंगा के समान शीतल व निर्मल था । इसलिए ऋषियों ने इसे श्वेत गंगा का नाम दिया था । जो बोलचाल में सेतगंगा हो गया । टेसुआ के तट पर बसा यह स्थान मुंगेली जिले का तीर्थ कहलाता है ।
मुंगेली जिला के पुरातत्व एवं पर्यटन स्थल
- मदकु द्वीप
- अचानकमार टाइगर रिजर्व
- राजीव गांधी जलाशय (खुड़िया जलाशय)
- शिवघाट
- सेतगंगा
- खर्राघाट
- मोतीमपुर (अमर टापू)
- हथनिकला मंदिर
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मदकु द्वीप
- मद्कू द्वीप शिवनाथ नदी की धारा के दो भागों मे विभक्त होने से द्वीप के रूप मे प्रकृतिक सौन्दर्य परिपूर्ण अत्यंत प्राचीन रमणीय स्थान है।
- इस द्वीप पर प्राचीन शिव मंदिर एवं कई स्थापत्य खंड हैं। लगभग 10वीं 11वीं सदी के दो अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर इस द्वीप पर स्थित है।
- इनमे से एक धूमनाथेश्वर तथा इसके दाहिने ओर उत्तर दिशा में एक प्राचीन जलहरी स्थित है जिससे पानी का निकास होता है।
- इसी स्थान पर दो प्राचीन शिलालेख मिले हैं। पहला शिलालेख लगभग तीसरी सदी ई॰ का ब्राम्ही शिलालेख है।
- इसमें अक्षय निधि एवं दूसरा शिलालेख शंखलिपि के अक्षरों से सुसज्जित है।
- इस द्वीप में प्रागैतिहासिक काल के लघु पाषाण शिल्प भी उपलब्ध हैं।
- सिर विहीन पुरुष की राजप्रतिमा की प्रतिमा स्थापत्य एवं कला की दृष्टि से 10वीं 11वीं सदी ईसा की प्रतीत होती है। आज भी पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई मेँ गुप्तकालीन एवं कल्चुरी कालीन प्राचीन मूर्तियाँ मिली हैं।
- कल्चुरी कालीन चतुर्भुजी नृत्य गणेश की प्रतिमा बकुल पेड़ के नीचे मिली है। 11वीं शताब्दी की यह एकमात्र सुंदर प्रतिमा है।
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अचानकमार टाइगर रिजर्व
- मनोरम, नैसर्गिक, नयनाभिराम सौंदर्य से समृद्ध अचानकमार टाइगर रिजर्व सतपुड़ा के 553.286 वर्ग किमी के एक क्षेत्र पर विशाल पहाड़ियों के मैकाल रेंज में साल, बांस और सागौन के साथ अन्य वनस्पतियों को समाहित किया हुआ है।
- अचानकमार अभ्यारण्य की स्थापना 1975 में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 के तहत की गई। 2007 में इसे बायोस्फीयर घोषित किया गया और 2009 में बाघों की संख्या के लिए अचानकमार अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया।
- अचानकमार टाइगर रिजर्व की गिनती देश के 39 टाइगर रिजर्व में होती है।
- यहाँ बाघ, तेंदुआ, गौर, उड़न गिलहरी, जंगली सुअर, बायसन, चिलीदार हिरण, भालू, लकड़बग्घा, सियार, चार सिंग वाले मृग, चिंकारा सहित 50 प्रकार स्तनधारी जीव एवं 200 से भी अधिक विभिन्न प्रजीतियों के पक्षी देखे जा सकते हैं।
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राजीव गांधी जलाशय (खुड़िया जलाशय)
- इस जलाशय का निर्माण तीन प्राकृतिक पहाड़ियों को जोड़कर किया गया है।
- इन तीनों पहाड़ियो के मध्य से होकर मनियरी नदी बहती है। अंग्रेजी शासन काल में कृषि की संभावनाओं को देखते हुये इन तीन पहाड़ियों को जोड़कर बांध बनाने की प्रक्रिया 1927 मे शुरू हुयी, जो तीन साल बाद 1930 मे पूरी हुयी बाद मे इसका नाम राजीव गांधी जलाशय कर दिया गया।
- खुड़िया ग्राम मे यह बांध निर्मित होने के कारण यह बांध खुड़िया जलाशय के नाम से भी जाना जाता है।
- मुंगेली लोरमी एवं ब्लॉक के किसान कृषि के लिए मुख्यतः राजीव गांधी जलाशय पर ही आश्रित है।
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शिवघाट
- शिवघाट मानियरी नदी के तट पर बसे लोरमी की प्राचीन नागरी पर स्थित है।
- भगवान शिव का अति प्राचीनतम मानवधाम नगर के उत्तर दिशा और माँ महामाया मंदिर के पश्चिम मे स्थित शिवघाट यहाँ के हजारों लोगों की आस्था का एक बड़ा केंद्र है।
- शिव के इस पावन धाम मे लगभग 300 वर्ष पुरानी शिवलिंग की अति प्राचीनतम प्रतिमा विराजमान है।
- मैकल पर्वत श्रेणी में स्थित लोरमी के अचानकमार अभ्यारण्य के अंदर स्थित सिहवाल नाम की जगह से एक बड़े से तलाब से निकालने वाली मनियारी नदी के तट के करीब स्वयंभू शिव लिंग के प्रकट होने की वजह से यह घाट भगवान भोलेनाथ के नाम से शिवघाट के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
- महाशिवरात्री के मौके पर यहाँ सात दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है।
- इसमे दूर-दराज से लोग पहुँचकर मड़ई और मेला का भरपूर लुत्फ उठाते हैं।
- यह जिला मुख्यालय मुंगेली से 23 किमी दूर उत्तर पश्चिम में विकासखंड मुख्यालय लोरमी में स्थित है
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सेतगंगा
- दक्षिण कौशल छत्तीसगढ़ धर्म संस्कृति, पर्यटन कला, संगीत और इतिहास के संबंध में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है।
- यहाँ अनेक ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक महत्व के तीर्थ हैं। जिनमें से एक है सेतगंगा। वस्तुतः इसका प्राचीन नाम है- श्वेतगंगा, जिसका अर्थ है सफ़ेद गंगा।
- कई शताब्दियों पूर्व यहाँ एक कुंड का प्राकट्य हुआ, जिसका जल गंगा की तरह शीतल, स्वच्छ तथा निर्मल था।
- इसे तपस्वी, साधुओं ने माँ गंगा के नाम पर श्वेतगंगा कहा।
- जन श्रुति के अनुसार फणीनागवंशी राजा को स्वप्न आया की मैं विष्णुपदाब्ज संभूत, त्रिपथगामिनी गंगा तुम्हारे राज्य की पश्चिमी सीमा मे प्रकट होकर प्रवाहित हो रही हूँ।
- वहाँ मेरे कुंड व मंदिर स्थापित करो।
- 10वीं 11वीं शताब्दी में राजा ने वहाँ श्रीराम जानकी मंदिर व श्वेतगंगा कुंड का निर्माण कराया।
- ग्राम सेतगंगा के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक ग्राम होने का गौरव प्राप्त है।
- यहाँ गुरुघासीदासजी के मंदिर में प्रतिवर्ष जयंती समारोह मनाया जाता है।
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खर्राघाट
- मुंगेली खर्राघाट आगर नदी के किनारे महादेव का सिद्ध मंदिर है।
- यहाँ 1890 में शैव संप्रदाय के सिद्ध महात्मा शिवोपासक आए और यहाँ की भूमि में उन्हें शांति अनुभूति हुई।
- श्री खर्राघाट महादेव गणेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्धि रखता है।
- तत्कालीन समय में अघोर साधुओं का तपोस्थली रहा है। खर्राघाट तंत्र सिद्धि के लिए मशहूर था।
- आज भी गोरखनाथ संप्रदाय के शिष्यों का दर्शन यहाँ अनिवार्य माना जाता है।
- वहीं दूसरे तट पर नागा संप्रदाय के श्री हंस बाबा की समाधि स्थल परमहंस कुटीर में विद्यमान है।
- महाशिवरात्रि के साथ ही अन्य विशेष पर्व के अवसर पर इस जगह में एक ख़ासी सुगंध फैल जाती है।
- खर्राघाट के एक तट का नाम बाबा बुड़ान है, जो आज भी रहस्य बना हुआ है।
- वर्तमान में इस स्थान को जिला प्रशासन ने पर्यटन स्थल के रूप मे सँवारने का निर्णय लिया है।
- यह जिला मुख्यालय मुंगेली से 2 किमी दक्षिण पूर्व दिशा पर स्थित ग्राम रामगढ़ के करीब स्थित है।
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मोतीमपुर (अमर टापू)
- छत्तीसगढ़ राज्य के जिला मुंगेली के ग्राम मोतीमपुर का महत्व अपने प्रकृतिक संरचना एवं सामाजिक धार्मिक विश्वास और श्रद्धा के केंद्र के रूप में निरंतर प्रगति पर है।
- ग्राम पंडरिया के समीप भुरकुंड पहाड़ से आगर नदी का उद्गम एवं लंबी दूरी के साथ शिवनाथ नदी पर संगम का दृश्य मनोहारी है।
- निर्मल जल के मध्य एक द्वीप जैसा स्थान विकसित है। इसके कारण इसका सौन्दर्य पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
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हथनिकला मंदिर
- हथनिकला देवी स्थल पर्यटन, धार्मिक विश्वास एवं श्रद्धा केंद्र के रूप में निरंतर प्रगति पर है।
- चारों तरफ पेड़ पौधे और सामने तालाब इस देवी स्थल के सौंदर्य पर चार चाँद लगा रहे हैं।
- मदिर के अंदर स्थापित अष्टभुजी माँ दुर्गा की मूर्ति जीवंत प्रतीत होती है।
- इस मंदिर का निर्माण ग्राम के मालगुजार स्व॰ रोहन सिंह राजपूत ने जनसहयोग से कराया है।
- 1972 में निर्मित यह मंदिर सभी धर्म के लोगों के लिए खुला है।
- धार्मिक उद्देश्य के अलावा पर्यटन के बेजोड़ उदाहरण को देखने के लिए साल भर लोग यहाँ आते रहते हैं।
- नवरात्रि के समय यहाँ आने वाले भक्तों की संख्या में भरी इजाफा होता है।
- यह बेजोड़ मंदिर जिला मुख्यालय मुंगेली से 8 किमी की दूरी पर स्थित धरमपुरा से दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित है।
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