छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ (2)
गोदावारी प्रवाह प्रणाली (28%)
- प्रदेश के लगभग 28 प्रतिशत गोदावरी अपवाह तंत्र का विस्तार है ।
- गोदावरी महाराष्ट्र प्रदेश के नासिक जिले के त्रयम्बक नामक 1067 मीटर ऊंचे स्थान से निकलकर छत्तीसगढ़ की दक्षिणी सीमा बनाती हुई बहती है ।
- ‘दक्षिण की गंगा‘ नाम से विख्यात यह नदी प्रदेश के बस्तर जिले 4240 वर्ग किमी तथ राजनांदगांव जिले में 2558 वर्ग किमी अपवाह क्षेत्र बनाती है, तथा लगभग 40 किमी लंबी दूरी में बहती है ।
- इन्द्रावती, शबरी, चिंता, कोटरी बाघ, नारंगी, मरी, गुडरा, कोभरा, डंकनी और शंखनी आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां है ।
गोदावरी नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ
इंद्रावती नदी
- इन्द्रावती नदी कालाहांडी (उड़ीसा) ज़िले के धरमगढ़ तहसील में स्थित 4 हज़ार फीट ऊँची मुंगेर पहाड़ी से निकली है।
- यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई जगदलपुर ज़िले से 40 किमी. दूर पर चित्रकोट जलप्रपात बनाती है।
- जो उड़ीसा के कालहंदी पहाड़ से निकल कर भूपालपटनम् के पास गोदावरी में गिरती है।
- चित्रकोट नाम का 94 फुट ऊँचा जलप्रपात जगदलपुर के पास स्थित है।
- महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ की सीमा बनाती हुई दक्षिण दिशा में प्रवाहित होती है और अन्त में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश के सीमा संगम पर भोपालपट्टनम से दक्षिण की ओर कुछ दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रम 202 पर स्थित भद्रकाली के समीप गोदावरी में मिल जाती है।
- इसकी प्रदेश में कुल लम्बाई 264 किमी. है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियों में कोटरी, निबरा, बोराडिग, नारंगी उत्तर की ओर से तथा नन्दीराज, चिन्तावागु इसके दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्वी दिशाओं में मिलती हैं।
- दक्षिण-पश्चिम की ओर डंकनी और शंखनी इस नदी में मिलती हैं।
- इस नदी पर बोध घाटी परियोजना प्रस्तावित है।
- इस नदी के किनारे प्रमुख नगर जगदलपुर बारसुर है।
कोटरी नदी
- कोटरी नदी इन्द्रावती नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- बालू में सोने के क कण मिलते है
लम्बाई 135 कि.मी. है - इसका उदगम छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगाँव ज़िले की मोहाला तहसील में हुआ है।
- इस नदी का अपवाह क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम सीमा पर राजनांदगाँव के उच्च भूमि में है।
- यह उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हुई राजनांदगाँव, कांकेर, बस्तर ज़िलों में होती हुई महाराष्ट्र में प्रवेश कर बस्तर ज़िले की सीमा पर इन्द्रावती जो कि ज़िले की सीमा बनाती है तथा इन्द्रावती नदी के उत्तरी छोर में मिल जाती है।
डंकिनी और शंखिनी नदी
- ये दोनों इन्द्रावती की सहायक नदियां है। डंकिनी नदी किलेपाल एवं पाकनार की डांगरी-डोंगरी से तथा शंखिनी नदी बैलाडीला की पहाड़ी के 4,000 फीट ऊंचे नंदीराज शिखर से निकलती है। इन दोनों नदियों का संगम दन्तेवाड़ा में होता है।
शबरी नदी
- इसका उदगम जिला कोरपुर ओडिशा
- छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बिच सिमा बनती है
- बालू में सोने के क कण मिलते है जल परिवहन की सुविधा उपलब्ध है
- यह बस्तर की दक्षिणी पूर्वी सीमा में बहती हुई आन्धप्रदेश के कुनावरम् के निकट गोदावरी में मिल जाती है ।
- बस्तर जिले में यह 173 किमी लंबाई में बहती है । जिससे 5680 किमी अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है ।
बाघ नदी
नारंगी नदी
बाघ नदी
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- इस नदी का उद्गम राजनांदगांव जिले में स्थित पठार से हुआ है ।
- यह नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र राज्यों के बीच की सीमा बनाती है ।
नारंगी नदी
- यह बस्तर जिले की कोंडागांव तहसील से निकलती है । तथा चित्रकूट प्रपात के निकट इन्द्रावती में विलीन हो जाती है ।
बाघ नदी
- यह नदी चित्रकूट प्रपात के निकट इन्द्रावती नदी से मिलती है।
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गंगा नदी प्रवाह प्रणाली
- इस प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत बिलासपुर जिले के 5 प्रतिशत भाग, रायगढ़ जिले का 14 प्रतिशत भाग तथा सरगुजा जिले के 8 प्रतिशत भाग आता है ।
- प्रदेश में सोन इसकी प्रमुख नदी है । जो पेन्ड्रा रोड तहसील के बंजारी पहाडी क्षेत्र से निकलकर पूर्व से पश्चिम से ओर बहती हुई मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश का पार करते हुई गंगा नदी में मिल जाती है ।
- कन्हार, रिहन्द, गोपद, बनास, बीजाल इसकी अन्य सहायक नदियां है ।
प्रमुख सहायक नदियाँ
कन्हार नदी
- यह नदी बिलासपुर जिले के उत्तरी पश्चिमी भाग में स्थित खुडि़या पठार के बखोना नामक पहाड़ी से निकलती है ।
- इसकी लम्बाई 115 KM है
- यहां से उत्तर की ओर बहती हुई सामरी तहसील में 60 मीटर ऊंचे कोठरी जलप्रपात की रचना करती है
- इसके पश्चात शहडोल एवं सतना जिले की सीमा पर सोन नदी में मिल जाती है ।
- यह नदी सरगुजा जिले में 3030 वर्गकिमी अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है।
- सिन्दूर गलफूला, दातरम, पेंगन, आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां है ।
रिहन्द नदी
- यह नदी सरगुजा जिले के मैनपाठ के निकट 1088 मीटर ऊंची मातरिंगा पहाड़ी से निकलती है ।
- अपनी उदगम स्थल से उत्तर की ओर बहती हुई यह सरगुजा बेसीन की रचना करती है ।
- इसे सरगुजा जिले की जीवन रेखा कहा जाता है ।
- यह अपवाह क्रम की सबसे बड़ी (145 किमी) नदी है ।
- इस पर मिर्जापुर क्षेत्र में रिहन्द नामक बांध बनाया गया है ।
- रिहन्द बेसीन में बहने के पश्चात अन्ततः उत्तरप्रदेश में सोन नदी में विलिन हो जाती है ।
- घुनघुटा, मोरनी, महान, सूर्या, गोबरी आदि इसी प्रमुख सहायक नदिया है ।
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नर्मदा नदी प्रणाली
- नर्मदा नदी प्रणाली कबीरधाम से बहने वाली बंजर, टांडा एवं उसकी सहायक नदियाँ नर्मदा प्रवाह प्रणाली के अंतर्गत हैं।
- छत्तीसगढ़ में नर्मदा प्रवाह तन्त्र की नदियों का प्रवाह क्षेत्र। .58 % एवं 710 वर्ग मीटर के क्षेत्र में है।
- मैकल श्रेणी महानदी प्रवाह क्रम को नर्मदा प्रवाह क्रम से अलग करती है।
- राजनांदगाँव ज़िले की पश्चिमी सीमा पर भूमि का ढाल उत्तर-पश्चिम की ओर है।
- राजनांदगाँव ज़िले की पश्चिमी सीमा पर ही टांडा एवं बंजर नदियाँ उत्तर-पश्चिम की ओर बहती हैं।
- ये नदियाँ भी छोटी हैं तथा ग्रीष्मकाल में सूख जाती हैं।
बंजर नदी
- उदगम कावर्धा
- समागम नर्मदा नदी में
- पश्चिम की ओर बहने वाली सबसे बड़ी नदी है
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